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पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी का शिवलिंग) – Parthiv shivling ka mahatva

पार्थिव शिवलिंग का महत्व –

आप सब जानते है की भगवान भोलेनाथ के अनेक रूप है| और भक्त उनकी पूजा भी अनेक रूपों में करते है| भगवान भोले नाथ की पूजा तीन प्रकार से बताई गयी है | कुछ भक्त  मन्दिर में जाकर मूर्ति रूप में पूजते है| तो कुछ शिवालयो में जाकर शिवलिंग के रूप में पूजा करते है|

इन दोनों रूपों में श्रेष्ट है पार्थिव पूजन जिसमे  मिटटी से निर्मित शिवलिंग की पूजा की जाती है|  इसमे शुद्ध मिटटी के द्वारा शिवलिंग की रचना की जाती है| और फिर विधिवत पूजा की जाती है|

कलयुग में सबसे श्रेष्ट पूजा पार्थिव शिवलिंग की पूजा मानी गयी है| सबसे पहले पार्थिव शिवलिंग की पूजा ऋषि कुष्मांड के पुत्र मंडप ने प्रारम्भ की थी| पार्थिव शिवलिंग का इतना ज्यादा महत्व है की जो पूण्य फल बड़ी से बड़ी तपस्या द्वारा भी नही मिलता वह पूण्य-फल मिटटी के बने पार्थिव शिवलिंग के पूजन से प्राप्त हो जाता है|

parthiv shivling images

जिस प्रकार हमारा जीवन पंचतत्व पर आधारित है और  ये पंचतत्व  आकाश ,वायु ,अग्नि ,जल और मिटटी से संबधित है जिसका जन्म और मरण निश्चित है तथा इसी पंचतत्वो में मिल जाता है उसी प्रकार भगवान शंकर को अपने मानव जीवन स्वरूप मिटटी से बनाकर के पार्थिव शिवलिंग की पूजा की जाती है तथा पंचाअमृत मिलाकर प्राणप्रतिष्ठा करते है

पार्थिव शिवलिंग की पूजा आदिकाल से होती आ रही है| पुरानो में भी इसका उल्लेख है की ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा गन्धर्वो ,देवताओ ,दानवों, यक्षो ऋषि मुनियों तथा मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम ने भी समुद्र पार करने से पहले रेत के शिवलिंग की पूजा तथा शिवलिंग का अभिषेक किया तथा रावन  पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद माँगा तथा सभी देवाताओ के मनोरथ भी सिद्ध हुए पार्थिव शिवलिंग की पूजा करके|

पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाये|| how to make parthiv shivling at home in hindi

भगवान भोले नाथ बहुत ही दयालु है, जो अपने भक्तो पर जल्दी प्रसन्न हो जाते जो भक्त सावन मास में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करते है उन पर भगवान भोले नाथ की विशेष कृपा बनी रहती है तथा भगवान भोले नाथ उन सभी भक्तो की  सभी मनोकामनाए पूर्ण  करते है 

सर्वप्रथम किसी पवित्र स्थान से मिटटी को लाकर अच्छे से कूट कर छान ले फिर उस मिटटी में गाय का गोबर ,गंगा जल ,घी ,दूध ,शहद ,दही  तथा भस्म मिला ले फिर सभी मिश्रण को मिटटी के साथ अच्छे से गुथ ले और अपने मस्तक पर त्रिपुण्ड लगाये और रुद्राक्ष की माला धारण कर ले और ध्यान रहे की आपका मुह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए|

जब शिवलिंग का निर्माण करना प्रारम्भ करे तब कुछ मंत्रो  का उचारण करे जैसे-        “हराय नमः” ,”महेश्वराय नमः” “ॐ नमः शिवाय”  इस प्रकार से मंत्रो का जप करते हुए शिवलिंग का निर्माण करे आप शिवलिंग का निर्माण करते समय रामायण का पाठ भी भोलेनाथ को सुना सकते है जिससे भोले नाथ ज्यादा   प्रसन्न होगे ध्यान रहे की शिवलिंग की ऊचाई चार अंगुल से छोटी नही होनी चाहिए और बारह अंगुल से बड़ी नही होनी चाहिए आप इनके बीच की किसी भी अंगुल की ले सकते है आप अपनी मनोकामना के अनुसार शिवलिंग की संख्या बना सकते  है

पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि ||parthiv shivling banane ki vidhi

पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने बाद आप निर्मित शिवलिंग को उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ स्थापित करे स्थापित करने से पहले आप उस स्थान को  गाय के गोबर से लिप कर पवित्र कर दे सर्वप्रथम कलश की स्थापना करे और दीपक जलाये फिर भगवान गणेश की स्थापना करे और पुष्प से आवाहन करे फिर पार्थिव शिवलिंग को परब्रह्म परमात्मा शिव का रूप मानकर शिवजी का पुष्प से आवाहन करे 

ॐ नमः शिवाय आवाहन्म: समरप्यामी: मंत्र बोले और पुष्प को शिवलिंग के पास रख दे फिर शिवलिंग को जल से स्नान कराए फिर गंगाजल  चढाये फिर जल से स्नान कराये फिर दुध  चढाये दूध के बाद फिर जल से स्नान कराये इसी तरह दही ,घी ,शहद ,पंचामृत चढ़ाये फिर जल से स्नान कराए और चन्दन का सुन्दर त्रिपुण्ड भोले नाथ के मस्तक पर बनाये फिर सुगन्धित इत्र भी भोलेनाथ को लगाये 

पार्थिव पूजन सामग्री

चने की दाल ,चावल ,बेलपत्र (सदैव चिकनी सतह की तरफ से ही अर्पित करे ) धतूरे के फुल ,तुलसी की मंझरी , पीले फुल गुलाब के फुल तथा कोई भी मोसमी फल भी अर्पित करे

और भोलेनाथ को भोग के लिए खीर  या मिश्री का भोग लगाये यह सब अर्पित करते समय ॐ नमःशिवाय का जप करते रहे पुजा संपन्न होने के बाद भोले नाथ से क्षमा याचना करे की पूजा में कुछ त्रुटी हो तो भोले नाथ शिवशम्भू करुणा-निधान देवो के देव महादेव  हमें क्षमा करे| और सदैव अपनी कृपा बनाये रखे| पार्थिव पूजा सभी मनोकामनाये पूर्ण करने वाली पूजा बताई गयी है 

पार्थिव पूजा करने के लाभ || सावन मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने के फायदे

पार्थिव पूजा कलयुग में सर्वश्रेष्ट मानी गयी है | जो भोले नाथ को प्रसन्न करने का सरल मार्ग है जिस प्रकार देवो में देव महादेव श्रेष्ट है| उसी प्रकार सभी पूजाओ में पार्थिव पूजा श्रेष्ट है| जैसे सभी नदियों में गंगा नदी श्रेष्ट है| उसी प्रकार सभी लिंग पूजाओ में पार्थिव शिवलिंग पूजा श्रेष्ट है|

जैसे सभी मंत्रो में प्रणव मंत्र महान है| उसी प्रकार सभी पूजाओ में पार्थिव शिवलिंग पूजा श्रेष्ट है| जैसे सभी पुरियो में कशी पूरी को श्रेष्ट्म कहा गया है| उसी प्रकार सभी लिंग पूजाओ में पार्थिव लिंग पूजा श्रेष्ट मानी गयी है| जो अत्यंत महत्वपूर्ण और उत्तम फलदायक है|

  1.  पार्थिव शिवलिंग पूजन धन-धान्य, रिद्धि- सिद्धि और पुत्ररत्न प्रदान करने वाला बताया गया है
  2. पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक करते समय महाम्रत्युन्जय मंत्र को बोलने से रोगी को उसकी बीमारी से जल्दी छुटकारा मिलता है
  3. मिट्टी शिवलिंग पूजन से सुखो की प्राप्ति होती है तथा दुखो का नाश होता है|
  4. पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन करने से समस्त मनोकामनाये पूरी होती है|
  5. सावन के महीने में जो भी पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके पूजा करता है उसे 10 हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है |
  6. पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक करने वाले उपासक की कभी अकाल मृत्यु नही होती |
  7. इस शिवलिंग पूजन करने वाले को रुद्रलोक की प्राप्ति होती है तथा शिव कृपा बनी रहती है|  

पार्थिव शिवलिंग का रूद्र अभिषेक ||पार्थिव शिवलिंग रूद्राभिषेक || सावन के महीने में मिटटी के शिवलिंग का रूद्राभिषेक कैसे करे |

रूद्र भगवान शिव का ही एक रूप है| रूद्र भगवान शिव का प्रचंड और विकराल रूप है,  जिन्हें प्रसन्न करने के लिए रूद्र अभिषेक किया जाता है| रूद्र अभिषेक विशेष तिथियों पर किया जाता है , जैसे प्रदोष या शिवरात्रि तथा सावन के महीने में सोमवार को रूद्र अभिषेक किया जा सकता है| रूद्र अभिषेक में  विशेष प्रकार के मंत्रो का जप किया जाता है

ये मंत्र शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी मंत्र होते है, जिनका जप करते हुए भोले नाथ पर विशेष प्रकार की अलग अलग वस्तुओ से अभिषेक किया जाता है उसे रूद्र अभिषेक कहते है|और विद्वान कहते है की हमारे भाग्य का लिखा कोई बदल सकता है तो वह भोले नाथ शिवशम्भु है, जो जिसपर कृपा करे उसके भाग्य उदय हो जाते है |रूद्र अभिषेक किसी विशेष मनोकामना की प्राप्ति के लिए किया जाता है|  

रूद्र अभिषेक से भोलेनाथ मनोवांछित फल प्रदान करते है, क्युकी भोले नाथ सब देवो के देव है| जो अपने भक्तो को उनकी भक्ति का फल प्रदान करते है|

विशेषतः सावन मास में जो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके रूद्र अभिषेक करना अति फलदायक  बताया गया है रूद्र अभिषेक किसी पवित्र स्थान पर करना ज्यादा पूण्य प्रदान करता है अगर आपके आसपास कोई मन्दिर हो तो आप वहाँ जाकर  भी रूद्र अभिषेक कर सकते है या फिर घर पर  भी पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके रूद्र अभिषेक कर सकते है |

रूद्र अभिषेक किस पदार्थ से करने से क्या फल मिलाता है

रूद्र अभिषेक में अपनी मनोकामना के अनुसार अलग- अलग चीजो से आप पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक कर सकते है |

  1. शिवलिंग का जल से रूद्र अभिषेक करने से जीवन मंगलमय होता है |
  2. पार्थिव शिवलिंग का रूद्र अभिषेक घी की धारा से करने वाले भक्त को संतान की प्राप्ति होती है, और शक्ति मिलती है|
  3. शिवलिंग का गन्ने के रस से रूद्र अभिषेक करने से कुंडली के बुरे योग नष्ट हो जाते है, और जीवन में सुखो की प्राप्ति होती है|
  4. शकर मिले दूध  से शिवलिंग का रूद्र अभिषेक करने से  व्यक्ति के मस्तिस्क का विकास होता है, तथा विद्वान बनता है|
  5. पार्थिव शिवलिंग पर गाय के दूध से रूद्र अभिषेक करने पर आरोग्य और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है|
  6. पार्थिव शिवलिंग पर भस्म से रूद्र अभिषेक करने पर आया हुआ संकट टल जाता है|
  7. शिवलिंग पर दूध से रूद्र अभिषेक करने पर दीर्घ आयु मिलती है|
  8. पार्थिव शिवलिंग पर चंदन से अभिषेक करने पर लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है |
  9. पार्थिव शिवलिंग पर गंगाजल से रूद्रअभिषेक  करने पर मानसिक शांति मिलती है|
  10. शहद से रूद्र अभिषेक करने पर करने पर सभी पुराने रोगों से मुक्ति मिलती है |
  11. काला तिल चढाने से शनि गृह दोष से छुटकारा मिलता है |

पार्थिव शिवलिंग के विसर्जन की विधि||parthiv shivling ka visarjan ||parthiv shivling visarjan vidhi

इस शिवलिंग की पूजा पूरी होने के बाद आपको पार्थिव शिवलिंग को दिन भर उसी जगह पर रहने देना है उसके बाद शाम के वक़्त शिवलिंग को अपने पास के नदी या कुए में विसर्जित कर देना चाहिए|

पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन मंत्रो का उचारण करे || पार्थिव पूजन मंत्र

  “हराय नमः” ,”महेश्वराय नमः” “ॐ नमः शिवाय”  इस प्रकार से मंत्रो का जप करते हुए शिवलिंग का निर्माण करे आप शिवलिंग का निर्माण करते समय रामायण का पाठ भी भोलेनाथ को सुना सकते है |

जिससे भोले नाथ ज्यादा प्रसन्न होगे, ध्यान रहे की शिवलिंग की ऊचाई चार अंगुल से छोटी नही होनी चाहिए और बारह अंगुल से बड़ी नही होनी चाहिए आप इनके बीच की किसी भी अंगुल की ले सकते है आप अपनी मनोकामना के अनुसार शिवलिंग की संख्या बना सखते है 

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