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शिवलिंग का इतिहास एवं महत्व

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सावन के विशेष महीने में हम सभी भगवान शिव की पूजा करते हैं। जिसके भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो लिंग रूप में पूजे जाते हैं। शिवलिंग (नर्मदेश्वर शिवलिंग ) भगवान शिव का निराकार रूप है।

तीनों देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से केवल भगवान शिव (महेश) को ही कई नामों से पुकारा जाता है। जैसे नीलकंठ, शंकर, गंगाधर, आशुतोष और महाकाल भी कहलाते हैं। जो कालो के काल महाकाल है, जिनके आशीर्वाद से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, और जीवन मंगलमय होता है।

शिवलिंग का महत्व || shivling ka mahatw

शिवलिंग भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप है। शिवलिंग भगवान शिव और शक्ति का एकल रूप है, जो मनुष्य और प्रकृति की समानता का प्रतीक है। जिस तरह पुरुष और महिला दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ब्रह्मांड का निर्माण भी पदार्थ और ऊर्जा से मिलकर हुआ है। शरीर पदार्थ और आत्मा ऊर्जा से मिलकर बनी है।

जिस तरह पूरे ब्रह्मांड में कोई अदि और अंत नहीं हैं उसी तरह भगवान शिव का भी कोई अदि और अनंत नहीं है, केवल निराकार रूप है। जिसमें प्रलयकाल में समस्त सृष्टी विलीन हो जाती है और पुनः सृष्टीकाल में जिससे उत्पन्न होती है , जब कुछ भी नहीं था, भगवान शिव थे और तब भी जब कुछ भी नहीं होगा, भगवान शिव रहेंगे, भगवान शिव को शून्य, आकाश , ब्रह्मांड और सर्वोच्च व्यक्ति का प्रतीक माना जाता है।

लिंग महापुराण के अनुसार: what is shivling

Thumb size narmadeshwar shivling
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लिंगमहापुराण के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी-अपनी श्रेष्ठता साबित करने को लेकर विवाद हो गया। दोनों अपने आपको श्रेष्ठ बताने के लिए एक-दूसरे का अपमान करने लगे। लेकिन जब दोनों का विवाद चरम सीमा तक पहुंच गया, तब अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक विशाल लिंगम दोनों देवों के बीच आकर स्थापित हो गय

इसके बाद दोनों देव इस लिंगम के रहस्य का पता लगाने में जुट गए। भगवान ब्रह्मा उस लिंगम के ऊपर की तरफ बढ़े और भगवान विष्णु नीचे की ओर जाने लगे। हजारों वर्षों तक जब दोनों देव इस लिंग का पता लगा पाने में असमर्थ रहे, तो वह अपनी हार मानते हुए फिर उसी जगह पर पहुंचे जहां पर उन्होंने उस विशाल लिंगम को देखा था।

लिंगम के पास पहुंचते ही दोनों देवो को उस लिंगम के पास से ओम स्वर की ध्वनि सुनाई देने लगी। इस स्वर को सुनकर दोनों को यह अनुमान हो गया है कि यह कोई शक्ति है। इसलिए दोनों देव ओम के स्वर की आराधना करने लगे।

ब्रह्मा और विष्णु की आराधना से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उस विशाल लिंगम  से स्वयं प्रकट हुए। उन्होंने दोनों देवों को सद्बुद्धि का वरदान दिया और वहीं उस विशाल शिवलिंग के रूप में स्थापित होकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए। लिंगमहापुराण के अनुसार यही विशाल लिंगम  भगवान शिव का सबसे पहला शिवलिंग माना जाता है।

शिवलिंग के प्रकार: types of shivling

आप सभी जानते हैं कि भगवान शिव एक भोले भंडारी हैं| जो अपने भक्तों पर सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग (जो उनका निराकार रूप है) की पूजा करने से , भोलेनाथ सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

भगवान शिव को शीतल वस्तुए बहुत प्रिय है ,क्योंकि समुद्र मंथन के समय जो विष निकला था। वह बहुत गर्म था जो भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था जिससे उनके शरीर में गर्मी का प्रभाव बढ़ गया था। तब सभी देवताओं ने भगवान शिव पर जल की धारा प्रवाहित की, जिससे उन्हें शीतलता मिली। तब से शिवलिंग पर ठंडी चीजों से जैसे दूध से अभिषेक तथा बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर जल चढाने वाले व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं तथा भगवान भोलेनाथ की कृपा सदा बनी रहती है

शिवलिंग के कई प्रकार हैं

मिट्टी का शिवलिंग

मिट्टी में सभी सामग्री, दूध, गंगा जल, दही और शहद मिलाकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है जिसकी पूजा करने से विषैले प्राणियों का भय समाप्त समाप्त हो जाता है।

फूलों से बने शिवलिंग

फूलो से बने शिवलिंग की पूजा करने से भूमि तथा भवन की प्राप्ति होती है

गेहूं और चावल से बने शिवलिंग

गेहूं और चावल के आटे से बने शिवलिंग का अभिषेक करने से संतान सुख मिलता हैं।

मोती का शिवलिंग

मोती को बहुत शुभ माना जाता है और मोती से बने शिवलिंग की भी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोने के शिवलिंग

– सोने से बने शिवलिंग की पूजा करने से धन और सुख मिलता है।

चाँदी के शिवलिंग

चाँदी के शिवलिंग ज्यादातर लोगों के घरों में रहते है जिनके पूजा करने से पितरो को स्वर्ग की प्राप्ति होती है

नर्मदा नदी का शिवलिंग

नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा और घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। ( नर्मदेश्वर शिवलिंग ऑनलाइन खरीदने के लिए संपर्क करे +8462878071 )

तांबे के शिवलिंग

तांबे से बने शिवलिंग का अभिषेककरने से व्यक्ति दीर्घायु होता है।

फलों से बने शिवलिंग

– फलों से बने शिवलिंग की पूजा करने से भूमि में उत्पादन अधिक होता है

लहसुन शिवलिंग

– लहसुन से बने शिवलिंग की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है।

मिश्री का शिवलिंग

मिश्री से बने शिवलिंग की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

भस्म से बना शिवलिंग

जिन लोगों को तंत्र-मंत्र सिद्ध करना होता है वह भस्म से बने शिवलिंग की पूजा करते है ।

दही से बना शिव लिंगम

दही से बने लिंगम की पूजा करने से भी आपको सभी सुख और धन की प्राप्ति होती है।

गुड़ शिवलिंग

गुड़ के शिवलिंग की पूजा करने से घर में हमेशा अन्न का भंडार भरा रहता है।

कपूर शिवलिंग

कपूर के शिवलिंग की पूजा करने से मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

आंवले का शिवलिंग-

आंवले के शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पारद शिवलिंग – पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं माता पार्वती को बताया था कि जो भी इस पारद शिवलिंग की पूजा करेगा। मेरा आशीर्वाद हमेशा उस पर रहेगा। उसे अकाल मृत्यु, बीमारी, गरीबी जैसे सभी दुखों से मुक्ति मिलेगी और उसके सम्मान, प्रसिद्धि, धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होगी। तथा वह सभी सुखों का आनंद लेकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है ।

पार्थिव शिवलिंग इस शिवलिंग के उपासक को रुद्रलोक मिलता है और शिव प्रसन्न रहते हैं।

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