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क्या है शालिग्राम पत्थर की महिमा और क्यों पूजा जाता है

शालिग्राम की सम्पूर्ण जानकारी

दोस्तों आज के इस आर्टिकल्स में आपको शालिग्राम की सम्पूर्ण जानकारी के बारे में बतायेंगे शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है |जिसका उपयोग परमेश्वर (भगवान) के रूप में किया जाता है जिसकी पूजा की जाती है |शालिग्राम आम तौर पर पवित्र नदी वैष्णवी  से निकाला जाता है|

शिव भक्त पूजा करने के लिए गोल आकार  शालिग्राम का उपयोग करते  है शालिग्राम को सिला भी कहा जाता है| सिला मतलब पत्थर जिस प्रकार शंकर जी को शिवलिंग के रूप में पूजते है उसी प्रकार विष्णु भगवान को शालिग्राम के रूप में पूजा जाता है|शाली ग्राम की उत्पत्ति का अंश नेपाल के एक गाव दूरदराज गाव से मिलते है | हिन्दू धर्म के लोग शालिग्राम को सालग्राम के रूप में जाना जाता है

भगवान विष्णु के 24 अवतार

  1. सनकादि
  2. प्रथू
  3. वराह
  4. सुयज्ञ
  5. कपिल
  6. दत्तात्रोय
  7. नर-नारायण
  8. ऋषभदेव
  9. मत्स्य
  10. कूर्म
  11. धन्वन्तरी
  12. मोहिनी
  13. गजेन्द्र
  14. नरसिह
  15. वामन
  16. हंस
  17. परशुराम
  18. राम
  19. वेदव्यास
  20. बलराम
  21. कृष्ण
  22. बुद्ध
  23. हयग्रीव
  24. कल्कि

जानकारी के अनुसार लगभग 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं, जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना जाता है। कहा जाता है  कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं। भगवान विष्णु के अवतारों के अनुसार, शालिग्राम यदि गोल है तो वह भगवान विष्णु का गोपाल रूप है। मछली के आकार का शालिग्राम श्रीहरि के मत्स्य अवतार का प्रतीक माना जाता है। यदि शालिग्राम कछुए के आकार का है तो इसे विष्णुजी के कच्छप और कूर्म अवतार का प्रतीक माना जाता है। शालिग्राम पर उभरने वाले चक्र और रेखाएं विष्णुजी के अन्य अवतारों और श्रीकृष्ण रूप में उनके कुल को इंगित करती हैं।

शालिग्राम और तुलसी की कथा 

पौराणिक कथानुसार एक बार दैत्यराज जालंधर के साथ भगवान विष्णु को युद्ध करना पड़ा। काफी दिन तक चले संघर्ष में भगवान के सभी प्रयासों के बाद भी जालंधर परास्त नहीं हुआ।   अपनी इस विफलता पर श्री हरि ने विचार किया कि यह दैत्य आखिर मारा क्यों नहीं जा रहा है। तब पता चला की दैत्यराज की रूपवती पत्नी वृंदा का तप-बल ही उसकी मृत्यु में अवरोधक बना हुआ है।

जब तक उसके तप-बल का क्षय नहीं होगा तब तक राक्षस को परास्त नहीं किया जा सकता।    इस कारण भगवान ने जालंधर का रूप धारण किया व तपस्विनी वृंदा की तपस्या के साथ ही उसके सतीत्व को भी भंग कर दिया। इस कार्य में प्रभु ने छल व कपट दोनों का प्रयोग किया। इसके बाद हुए युद्ध में उन्होंने जालंधर का वध कर युद्ध में विजय पाई। 

कैसे बने भगवान विष्णु शालिग्राम

  पर जब वृंदा को भगवान के छलपूर्वक अपने तप व सतीत्व को समाप्त करने का पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हुई व श्रीहरि को श्राप दिया कि तुम पत्थर के हो जाओ। इस श्राप को प्रभु ने स्वीकार किया पर साथ ही उनके मन में वृंदा के प्रति अनुराग उत्पन्न हो गया।    तब उन्होंने उससे कहा कि वृंदा तुम वृक्ष बन कर मुझे छाया प्रदान करना। वही वृंदा तुलसी रूप में पृथ्वी पर उत्पन्न हुई व भगवान शालिग्राम बने।

इस प्रकार कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी-शालिग्राम का प्रादुर्भाव हुआ। देवउठनी से छह महीने तक देवताओं का दिन प्रारंभ हो जाता है। अतः तुलसी का भगवान श्री हरि विष्णु शालीग्राम स्वरूप के साथ प्रतीकात्मक विवाह कर श्रद्धालु उन्हें वैकुंठ को विदा करते हैं।

नारायणी नदी के किनारे शालिग्राम नाम का एक स्थान है ,वहाँ से निकलने वाले पत्थर को शालिग्राम कहते है शालिग्राम के स्पर्स मात्र से लाखो जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है

शालिग्राम की महिमा || shaligram ki mahima

भगवान शालिग्राम शिला में सदैव चराचर तीर्थ सहित सम्पूर्ण त्रिलोक की शक्ति रहती है|कार्तिक मास में भगवान् शालिग्राम शिला के दर्शन करने वाले तथा उनके सामने माथा टेकने वाले या नतमस्तक होने वाले और उनकी पूजा अर्चना करने वाले मनुष्य को कोटि यज्ञो तथा पुण्य फल प्राप्त होता है |

शिवजी अपने बड़े पुत्र कार्तिके से कहते है की है- पुत्र भगवान शालिग्राम की शिला का सदा चरणामृत पान करने वाले मनुष्य को न तो यमराज का कोई भय रहता है नहीं जन्म मरण का कोई भय रहता है भगवान शिवजी कहते है की करोड़ो कमलं पुष्पों से मेरी पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है

वह भगवान शालिग्राम कि पूजा मात्र से प्राप्त होता है अन्य सभी शुभ कार्यो से प्राप्त फल का तो माप है परन्तु कार्तिक मास में शालिग्राम का पूजन करने वाले फल का कोई माप नहीं है शालिग्राम का जल से अभिषेक करने वाले व्यक्ति अपने समस्त तीर्थो के स्नान का फल प्राप्त करता है

शालिग्राम पूजन के लाभ ||शालिग्राम पूजन ||shaligram puja

देव उठनी ग्यारस के दिन प्रभु निद्रा से जागते है और परम सती  भगवती रूपा माँ तुलसी से उनका विवाह होता है |

  1. भगवान शालिग्राम का पूजन तुलसी के बिना पूर्ण नहीं होता है | तुलसी की पूजा करने व तुलसी का पत्ता भगवान विष्णु को चढाने पर भगवान विष्णु तुरंत प्रसन्न हो जाते है|
  2. भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराने से सारे पाप दूर हो जाते है
  3. तुलसी शालिग्राम का विवाह कराने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है
  4. रोज भगवान् शालिग्राम जी को स्नान कराकर चन्दन लगाकर तुलसी दल अर्पित करना चर्नाम्रत ग्रहण करना यह उपाय मन धन तन की सारी कमजोरिया व दोषो को दूर करने वाला माना गया है |
  5. पुराणों में यह कहा गया है की जिस घर में भगवान शालिग्राम हो वह घर समस्त तीर्थो से भी श्रेष्ट माना गया है |
  6. इनके दर्शन मात्र से समस्त भोगो का सुख मिलता है
  7. स्वयं भगवान शिवजी ने भगवान शालिग्राम की स्तुति की है
  8. पुराणों में यह लिखा गया है कि भगवान शालिग्राम का जल जो अपने ऊपर छिडकता है वह समस्त यज्ञो व् स्नान के बराबर है |
  9. जो व्यक्ति शालिग्राम शिला का जल द्वारा अभिषेक करता है वह सम्पूर्ण दान व् पुण्य फल प्राप्त करता है
  10. मत्यु काल में चरनामृत का जलपान करने वाला व्यक्ति विष्णु लोग चला को जाता है
  11. जिस घर में शालिग्राम की रोज पूजा होती है उस घर में वास्तु दोष और बाधाये स्वतः समाप्त हो जाती है
  12. पुराण अनुसार श्री भगवान शालिग्राम जी का तुलसी युक्त चरनामृत पिने से भयंकर से भयंकर विष का भी तुरन्त नाश हो जाता है

शालिग्राम की स्थापना कैसे करें

यदि दोस्तों घर में शालिग्राम की स्थापना करना है तो आपको घर में पहले एक मंदिर बनाना पड़ेगा क्युकी घर में मंदिर होने से भगवान की व्यवस्थित तरीके से पूजा होती है | पारम्परिक रूप से कहा गया है की अगर आप मंदिर में मूर्ति रखते है तो उसकी रोज देखभाल और पूजा करनी चाहिए है |यदि मान लीजिये आप रोज जल और फुल चडाते है तो वह रोजाना जारी रहना चाहिए यदि एसा नही होता तो  वे घटती ऊर्जाओं में बदल जाते हैं। घटती ऊर्जाएं खतरनाक होती हैं। इस लिए हमे रोजाना भगवान की पूजा करना चाहिए

घर में केवल एक ही शालिग्राम रखना चाहिए और सारे नियमो से उनकी पूजा करनी चाहिए दोस्तों आपको बता दे की विष्णु जी की पूजा से कही ज्यादा लाभ शालिग्राम की पूजा से मिलता है इस लिए शालिग्राम की पूजा जरुर करे |

भगवान शालिग्राम की पूजा करते समय चन्दन लगाकर उनके ऊपर तुलसी का पत्ता रख दे | प्रतिदिन शालिग्राम भगवान को पंचामृत से स्नान करवाये आपको बता दे की जिस घर में शालीग्राम की पूजा होती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है |शालिग्राम की पूजा करते समय शुद्धता का ध्यान रखे क्योकि शालिग्राम सात्विकता के प्रतिक माने गये है|

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