narmadariverstone

we are provide original narmadeshwar shivling +917692842911

रुद्राक्ष का रहस्य और उसको पहनने के नियम एवं फायदे

रूद्राक्ष की महिमा – 

रुद्राक्ष  साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप है| रुद्राक्ष में “रूद्र” का अर्थ भगवान शिव का रूप और अक्ष का अर्थ शिव की “आंख” रुद्राक्ष को शिव का प्रतिनिधि भी कह सकते है| रुद्राक्ष को अनेक नामो से पुकारा जाता है|  जैसे भावाक्ष ,शिवाक्ष , फलाक्ष, नीलकंठ,भुताक्ष ,सर्वाक्ष, तथा पुष्पचापर भी कहते है| रुद्राक्ष को स्पर्श  करने तथा दर्शन करके जप करने से सम्पूर्ण पापो का नाश हो जाता है| जिस प्रकार भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के दर्शन करने मात्र से सभी पापो का नाश हो जाता है उसी प्रकार  रुद्राक्ष को सम्पूर्ण पापो का अपहरण करने वाल बताया गया है|

धार्मिक मान्यताओ के अनुसार

रुद्राक्ष शिव जी के अस्रुओ से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे शिव का अंश भी कहा जाता है| शिव की उपासना में रुद्राक्ष का बहुत ही महत्व बताया गया है| रुद्राक्ष का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है इसे दिव्य ओषधि भी कहा जाता है| रुद्राक्ष पापो का नाश करने वाला तथा रोगों को दूर करने वाला तथा भोग और मोक्ष को देने वाला बताया गया है|

जो पुण्य में  वृद्धि करने वाला है तथा जिससे से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और इसको धारण करने वाले उपासक के मन के बुरे विचार समाप्त हो जाते है| जो भी व्यक्ति मोक्ष तथा समस्त सुखो को प्राप्त करना चाहता है| उसे रुद्राक्ष अवश्य धारण करना  चाहिए 

आप सब जानते है की रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव जी के आसुओ से हुयी है| इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक का ध्यान आध्यात्म की और बढता है| जिससे जातक अध्यात्मिक  विचारो का धनि होता है|तथा आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि व उन्नति करता  है  रुद्राक्ष पाप नाशक तथा रोग नाशक है| इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से पाप और रोग दोनों नष्ट हो जाते है, तथा स्वास्थ लाभ भी होता है|

रुद्राक्ष  के  लाभ अदभुत है, तथा प्रभाव अचूक होते है रुद्राक्ष भगवान भोले नाथ को अति प्रिय है| जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष की माला से जप करता है उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाये भगवान भोले नाथ जल्दी ही पूर्ण कर देते है तथा जातक पर अपना आशीर्वाद बनाये रखते है|जिस प्रकार नर्मदेश्वेर शिवलिंग को भोलेनाथ का स्वरूप माना जाता है, उसी प्रकार रुद्राक्ष को  भोले नाथ का अंश माना जाता है| जिसमे भोलेनाथ स्वयं विराजमान रहते है|

रुद्राक्ष की उत्पत्ति –

यह एक विशेष प्रकार के वृक्ष का फल है | जो बेर के आकार का दिखाई देता है तथा हिमालय में उत्पन्न होता है| इसका फल जामुन की  तरह नीला तथा बैर की तरह खट्टा होता है| यह अलग -अलग आकार और अलग- अलग रंगों में पाए जाते है|

जैसे लाला रंग ,पीले रंग .काले रंग तथा उजलेरंग में पाए जाते है   जब यह फल सुख जाते है तब इनका  छिलका निकाल दिया जाता है  इसके बाद इनके अन्दर से गुडली प्राप्त होती है| उसे रुद्राक्ष कहते है, रुद्राक्ष को आभूषण के रूप में प्राचीनकाल से धारण करते आये है | भोले नाथ और माता पार्वती को प्रसन्न करने का अचूक उपाय रुद्राक्ष ही है जिसके जप करने से भोले नाथ जल्दी पप्रसन्न हो जाते है|

पुरानो  के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति –

एक त्रिपुर नाम का दानव था| जो ब्रह्मा जी से वरदान पाकर बहुत शक्ति शाली हो गया था| उस दानव ने अपनी शक्ति से समस्त प्रथ्वी पर अपना राज्य स्थापित कर लिया तथा देवताओ को भी पराजित करके सवर्ग पर अपना अधिपत्य स्थापित करने में सफल हो गया तब देवताओ ने भोले नाथ के पास जाकर प्रार्थना  की तब भोले नाथ ने देवताओ की प्रार्थना  सुनी और दानव राज त्रिपुर से देवताओ की रक्षा करने के लिए भोले नाथ ने त्रिपुर से युद्ध किया त्रिपुर वरदान पाने से शक्तिशाली हो गया था|

जिसके कारण भोले नाथ और त्रिपुर के बिच 1000वर्षो तक युद्ध चलता रहा युद्ध की भीषण योग अग्नि से शिव जी की आँखों से अश्रु निकलने लगे जो प्रथ्वी पर जहा -जहा भी गिरे वहा रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हो गये और इसी रुद्राक्ष के वृक्षों से जो फल निकले उसे रुद्राक्ष के रूप में लोक कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाने लगा जिसे हम रुद्राक्ष कहते है| रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र और पावन होते है रुद्राक्ष में भोलेनाथ का वास  माना गया है|

जो भक्तो की सभी मनोकामनाए पूर्ण  करते है | रुद्राक्ष का उपयोग ओषधियो के रूप में भी किया जाता है रुद्राक्ष की माला से जप करने से हजारो गुना ज्याद फल प्राप्त होता है रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदहमुखी  तक बताये गये है|  जो साधक को अपनी कुंडली के अनुसार धारण करने चाहिए रुद्राक्ष में समस्त समस्याओ से निपटने की शक्ति निहित है |रुद्राक्ष को सर्वफलदाता भी कहा गया है| जिससे सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है

रुद्राक्ष कहाँ  पाया जाता है –

रुद्राक्ष भारत ,नेपाल ,इंडोनेशिया, जापान जैसे देशो में पाया जाता है यह भारत के असम ,बंगाल देहरादून के जंगलो में पैदा होता है रुद्राक्ष का फल बैगनी व नीले रंग का होता है यह गुडली के रूप में पाया जाता है जिसे सुखाने के बाद फल के रूप में निकाल लिया जाता है रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदहमुखी तक के पाए जाते है|

एक मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होते है| जो एक पेड़ पर साल में केवल एक ही मिलता है रुद्राक्ष छोटे या बड़े आकार के होते है| जिनकी अलौकिकता तथा क्षमता अलग अलग होती है| रुद्राक्ष आवले के बराबर ,बेर के बराबर तथा मोती दाने के बराबर रुद्राक्ष पाए जाते है| रुद्राक्ष जितने ज्यादा छोटे होते है उनकी शक्ति उतनी ही ज्यादा होती है| मोती दाने के बराबर का रुद्राक्ष बड़े रुद्राक्ष से कई ज्यादा फल देता है 

रुद्राक्ष के प्रकार –

रुद्राक्ष इतने पवित्र और पावन है, की भोलेनाथ स्वयं उन्हें अपने आभूषण के रूप में धारण करते है रुद्राक्ष शुभफल दायक है| रुद्राक्ष विभिन्न प्रकार के पाए जाते है तथा रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकारो  को उनके मुख से जाना जाता है |रुद्राक्ष एकमुखी  से  चौदहमुखी  तक के हो सकते है| तथा इसके अतिरिक्त गणेश और गोरीशंकर नाम के भी दो विशेष  रुद्राक्ष होते है|

पुरानो में तो  इक्कीस मुखी तक रुद्राक्षो का वर्णन मिलता है|| जिस माला में एक से इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्षो का समागम होता है उसे हम इंद्र माला कहते है| जो बहोत ही कीमती होती है एक से  लेकर चोदह मुखी  तक के रुद्राक्ष सरलता से मिल जाते है परन्तु गणेश और गोरीशंकर नाम के दो विशेष रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होते है|

एकमुखी  से चोदहमुखी रुद्राक्ष में प्रत्येक रुद्राक्ष का आपना प्रभाव और महत्व होता है| रुद्राक्ष के एक छिद्र से दुसरे छिद्र तक जीतनी रेखाए लम्बवत जाती है| उसे उतने मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है| सभी रुद्राक्षो में पंचमुखी रुद्राक्ष सरलता से मिल जाता है |

  • रुद्राक्षो के प्रकार , एक से  चौदह मुखी तक के रुद्राक्षो के लाभ ,धारण करने की विधि तथा एक से लेकर चौदह मुखी तक के रुद्राक्षो की सम्पूर्ण जानकारी _

1 मुखी रुद्राक्ष के फायदे, धारण करने कि विधि तथा मंत्र

धारण करने के फायदे – 

  • इस रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा मृत्यु लोक के भ्रमण से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है
  •  इसे  धारण करने वाले के पास लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है  तथा विजय की प्राप्ति  होती है| 
  • इस एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ज्ञान में वृद्धि होती है तथा पापो का नाश होता है| 
  • धारण करने वालो को चित में प्रसन्नता , अन्याश धन की प्राप्ति ,रोगों से मुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार प्राप्त होता है
  • यह  रुद्राक्ष धारण करने  वाला देहिक तथा भोतिक रूप से प्रसन्न रहता है |
  • एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला उपासक पवित्र तथा पापो से मुक्त होकर परब्रहम की प्राप्ति करता है|
  •  एकाग्रता बढाने में भी एक मुखी रुद्राक्ष मदद्त करता है |एक मुखी रुद्राक्ष को घर में रखने पर परिवार में शांति व सदभावना  को उत्पन्न करता है |
  • इसे  धारण करने वाला व्यक्ति अपने क्रोध पर विजय प्राप्त करता है| 
  • शरीर में हाई BP एक मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से धीरे -धीरे नियंत्रित होने लगता है| 

धारण विधि –

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना  गया है, क्युकी सोमवार का  दिन भगवान भोले नाथ को समर्पित है| सोमवार के दिन प्रातः काल शुद्ध जल से स्नान कर के  घर में देवालय के पास पूर्व दिशा की और मुख करके बैठे और लाल रंग का वस्त्र  बिछाये जिस पर रुद्राक्ष को रखे |

रुद्राक्ष को सबसे पहले जल से स्नान कराये फिर पंचाम्रत से स्नान कराये और फिर गंगा जल से स्नान कराये दिपक जलाये तथा मिठे का प्रसाद लगाये और भोले नाथ से प्रार्थना करे की है प्रभु शंकर त्रिपुरारी हमारी सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे तथा धन -धान्य व सुख -शांति प्रदान करे| 

धारण करने का मंत्र –

एक मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने व धारण करने के लिए ”ऊं ह्रीं नम: “ (Om Hreem Namah)।” के मंत्र को 108 बार उच्चारण करे जिससे निश्चित ही सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है |

2 मुखी रुद्राक्ष –

वैसे तो सभी रुद्राक्ष किसी न किसी देवता के प्रतिक होते है इसमे दो मुखी  रुद्राक्ष को एकता का प्रतिक माना जाता है यह रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती का स्वरूप है इस लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही महत्वपूर्ण है

यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के सम्बन्धो में सद्धभाव देता है यह लोगो के व्यक्तित्व और द्रष्टि कोण को सकारात्मक तरीके से बदल देता है यह रुद्राक्ष भावनात्मक स्थिरता देता है तथा चन्द्रमा के गृहदोष  को दूर करता है|

रुद्राक्ष को भगवान शिव और माता पार्वती का स्वरूप माना गया है इस में  माता पार्वती और भगवान भोले नाथ स्वयं अर्धनारेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग की तरह विराजमान रहते है यह रुद्राक्ष दुर्लभ और कल्याणकारी माना गया है इस रुद्राक्ष को देवेस्वर भी कहते है|

शिवपुराण के अनुसार

इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या और गौ हत्या जैसे  पापो से मुक्ति मिलती है 2मुखी रुद्राक्ष पर भगवान चन्द्रदेव का आशीर्वाद निहित रहता है |इसलिए इसे धारण करने वाले पर चन्द्रदेव की विशेष कृपा बनी रहती है

तथा चंद्रमा जैसी शीतलता बनी रहती है | कर्क राशी के जातक के लिए दो मुखी रुद्राक्ष बहुत ही शुभ माना गया है इसके अलावा दाम्पत्य जीवन में खुशियां मिलती है

वैवाहिक जीवन में यदि कोई क्लेश है तो वह दूर हो जाता है पति पत्नी के सम्बन्ध मधुर होते है और यह हदय रोगो मे भी लाभकारी है कार्यक्षेत्र में लाभ देता है तथा कर्ज से मुक्ति मिलती है यह एक मात्र ऐसा रुद्राक्ष है जिसे धारण करने से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते है 

इस  रुद्राक्ष से नकारात्मक एनर्जी दूर होती है तथा सभी प्रकार की इच्छाए पूर्ण होने लगती है यदि मनुष्य ने कई पाप किये है और अंत समय में दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है 

दो मुखी रुद्राक्ष के फायदे  – 

  1. इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन मधुर होता है 
  2. दो मुखी रुद्राक्ष से  मोटापा मधुमेह जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है 
  3. गुरु-शिष्य ,पिता-पुत्र और पति-पत्नी के बिच होने वाली समस्याओ से मुक्त करता है|और उनके बिच मधुर सम्बन्ध स्थापित करने में मदद्त करता है|
  4. यह रुद्राक्ष धारण करने वाले के कारोबार में तथा उसकी नोकरी में सम्मान दिलाता है 
  5.  कर्क राशी वालो के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है 
  6. मस्तिष्क ,हदय ,तथा फेफड़ो के रोगों में विशेष लाभ दिलाता है 
  7. दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले के मन ,बुद्धि और विवेक पर विशेष प्रभाव रखता है 
  8. धारण करने से रूप ,सोंदर्य तथा वाद्यशक्ती की वृद्धि होती है 
  9. नकारात्मक शक्ति जैसे  भुत ,प्रेत की बाधाये  दूर होती है 
  10. जो शिव शक्ति की आराधना करते है उन्हें दो मुखी रुद्राक्ष आवश्य धारण करना चाहिए 

धारण करने का मंत्र –

रुद्राक्ष को भगवान शिव और माता पार्वती से स्पर्श कराके ॐ अर्धनारेश्वराय: नमःया “ॐ नमः”   मंत्र का उच्चारण करना चाहिए|

तीन मुखी रुद्राक्ष

यह तीनमुखी रुद्राक्ष अन्य सभी रुद्राक्षो में स्वस्थ के लिए बहुत ही शक्ति शाली रुद्राक्ष है यह अग्नि देवता से सम्बन्धित है जो मन और शरीर पर सुखदायक प्रभाव डालता है इस रुद्राक्ष में सभी पापो को भस्म करने का गुण शामिल है

यह तनाव को कम करता है तथा सफलता पाने में मदद्त करता है यह व्यक्ति को उन बाधाओ  से मुक्त करवाता है जो उसे अपने पिछले कर्मो के कारण झेलनी पड़ती है यह हर क्षण को जागरूक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है 

जिस रुद्राक्ष में तीन धरिया बनी हो उसे तीन मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है यह रुद्राक्ष भी अन्य रुद्राक्ष की तरह अत्यंत पावन और पवित्र होता है इसे त्रिदेवो का प्रतिक माना जाता है अर्थात ब्रह्मा ,विष्णु और महेश ,स्वाभाविक है

जो व्यक्ति तिन मुखी रुद्राक्ष को धारण कर लेता है उस पर ब्रह्मा ,विष्णु और महेश त्रिदेवो की  द्रष्टि बनी रहती है| तिन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का प्रतिक भी माना जाता है शिवपुराण में बताया गया है की जो भी व्यक्ति इसे धारण कर लेता है

उसे समस्त साधनों का फल अविलम्ब प्राप्त हो जाता है व समस्त एश्वर्य और सुख शांति की प्राप्ति होती है उसे उत्थान का मार्ग मिलता रहता है जो इसे धारण करता है  उसे अपने स्वयं के आत्मबल पर सफलताए प्राप्त होती  है

इसका सम्बन्ध मंगल ग्रह के साथ होता है अतः मंगल ग्रह से प्रभावित लोगो को तिन मुखी रुद्राक्ष आवश्य धारण करना चाहिए इसे सत्व ,रज,तम तीनो त्रिणात्म्क शक्तियों का स्वरूप माना गया है इसकी  रचनात्मक शक्ति बुद्धि की शक्ति को बढा देती है 

तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ –  

  1. इस रुद्राक्ष में अग्नि तत्व होने से यह पेट की बीमारियों में लाभ प्राप्त करवाता है 
  2. चहरे पर तेज व बल प्राप्त करने के लिए भी तिन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए 
  3. तीन मुखी रुद्राक्ष आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए तथा उर्जा वान बनाये रखने के लिए धारण करना चाहिए 
  4. जिन लोगो का जन्म लग्न ,राशी मेष या धनु हो उसके लिए यह रुद्राक्ष धारण कारना  शुभ माना गया है 
  5. जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु  तथा मान सम्मान प्राप्त करने हेतु तीन मुखी  रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए  
  6. यह रुद्राक्ष भ्रूण हत्या के पाप से भी मुक्त करवाता है 
  7. धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है। 

धारण करने की विधि –

किसी भी  रुद्राक्ष को पहनने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना गया है सोमवार के दिन कोई सा भी रुद्राक्ष धारण कर सकते है । सुर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करने के पश्चात घर की पूर्व दिशा में मंदिर के पास  बैठकर रुद्राक्ष को सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान कराये |

फिर पंचामृत से स्नान करवाए फिर गंगाजल से  स्नान कराये और लाल कापडे पर रुद्राक्ष को रखे  तथा भोले नाथ का स्मरण करते हुए दीपक जलाये व चन्दन ,बेलपत्र ,व सुन्धित से पूजा अर्चन करे और भगवान भोलेनाथ से प्राथना करे|

धारण करने का मंत्र – 

तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए ॐ क्लीम नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन देवताओ ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश का ध्यान करे |

4 मुखी रुद्राक्ष का महत्व

भगवान भोले नाथ को रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय है वह चाहे कितने मुखी भी हो सभी रुद्राक्ष अपने आप में महत्वपूर्ण होते है और प्रत्येक रुद्राक्ष की अपनी एक विशेषता होती है चार मुखी रुद्राक्ष बुध गृह के प्रभाव को कम करता है तथा यह ब्रह्मा जी का भी प्रतिक है| जो चार वेदों के देवता माने गये है जिनकी कृपा से धारण करने वाले जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है

चार मुखी रुद्राक्ष को चार वेदों का प्रतिक माना जाता है चार मुखी रुद्राक्ष के दर्शन और  स्पर्श करने से धर्म ,अर्थ और मोक्ष की अविलम्ब प्राप्ति हो जाती है ऐसा बताया जाता है की चारमुखी रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से ही उपासक शुद्ध ज्ञान की तरफ आकर्षित होने लगता है चार मुखी रुद्राक्ष शुद्ध ज्ञान का प्रतिक भी माना जाता है|

चार मुखी रुद्राक्ष का नियत्रक बुध गृह है यह बुध गृह के दोष को दूर करने में सहयक है बुध गृह को ज्योतिष शास्त्र में युवराज का स्थान प्राप्त है बुध गृह तेजी से सफलता दिलाने के लिए भी जाने जाते है चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बुद्धि का विकास तो होता ही है साथ में सफ़लताए भी मिलने लगती है|

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति बुद्धिमान और चातुर्यवान बनता है मिथुन राशी वालो के लिए यह अत्यधिक शुभ माना जाता है और विशेष फलदायी सिद्ध होता है तथा कई समस्याओ को दूर करता है इसको धारण करने वाला चारो दिशाओ में ख्याति प्राप्त करता है क्युकी भगवान ब्रह्मा जी चारो वेदों के ज्ञाता है

4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे –

  1. नेत्र विकार दूर होते है चहरे पर तेज तथा वाणी में मधुरता आती है
  2. इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुद्धि का विकास  होता है साथ ही तेजी से सफलताए मिलने लगती है
  3. सेहत, ज्ञान, बुद्धि तथा खुशियों की प्राप्ति में सहायक होता है
  4. यह लोगों को शर्मीले और कमजोर स्वभाव से उबरने में मदद करता है
  5. चार मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले को मानसिक रोग , मस्तिष्क विकार, लकवा, त्वचा रोग, नासिका रोग और दमा रोगों से बचाता है
  6. इस रुद्राक्ष को धारण करने से धारक को जीव हत्या के पाप से मुक्ति भी मिल जाती है
  7. जो व्‍यक्‍ति शिक्षा में कमज़ोर है उसे चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
  8. चार मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से ज्ञान और संतान प्राप्‍ति के मार्ग में आ रही समस्‍याएं दूर होती हैं।
  9. मिथुन राशि वाले जातकों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष अत्‍यंत लाभकारी है।
  10. मोक्ष सहित चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति इस रुद्राक्ष के धारण करने से हो जाती है |

4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र –

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए भोले नाथ के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाये तथा ऊँ ह्रीं नम: या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे

पांच मुखी रुद्राक्ष का महत्व ||5 मुखी रुद्राक्ष का महत्व 

पांच मखी रुद्राक्ष भी अन्य रुद्राक्षो की तरह अत्यंत पवित्र तथा पाप नाशक होता है| यह साक्षात् कालाग्नि स्वरूप है | इस पांच मुखी रुद्राक्ष के पांच मुख पांच तत्वों जल ,वायु आकाश ,भूमि ,अग्नि को भी प्रदर्शित करते  है| इस रुद्राक्ष में पंच तत्वों की शक्ति समाहित होती है|

इस रुद्राक्ष की उत्त्पति सबसे अधिक होती है तथा इसका प्रयोग भी अधिक होता है और यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है यह एक ऐसा रुद्राक्ष है जिसको कोई भी धारण कर सकता है स्त्री पुरुष या बच्चे भी धारण कर सकते है|यह सर्व सुलभ है तथा सभी समस्याओ में लाभकारी है|यह बहुत ही महत्वपूर्ण रुद्राक्ष है|

पांच मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् शिव का रूद्र रूप भी कहा जाता है तथा इसे पांच देवो ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश ,गणेश और देवी शक्ति का स्वरूप माना गया है इसलिए इसे जो धारण करता है उस पर देवताओ की तो कृपा रहती ही है साथ ही माता स्वरूप देवी शक्ति की आनुकम्पा सहज ही प्राप्त हो जाया करती है और जो फल इन पांच देवताओ की पूजा आराधना करने से मिलता है

वह फल इस पांच मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से प्राप्त हो जाता है जिनकी कुंडली में गुरु अनिष्ठकारी हो उन्हें जरुर धारण करना चाहिए जिससे अनिष्ठ व दोष समाप्त हो जाते है तथा दुर्घटनाओ से भी बचाता है इस रुद्राक्ष का स्वरुप आत्मा से भी होता है पांच मुखी रुद्राक्ष हदय रोगों में भी लाभकारी है

धारण करने वाले लोगो को सुख शांति प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है पांच मुखी रुद्राक्ष सब कुछ करने में समर्थ है| जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है वह सभी कार्यो में समर्थता निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है यह मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है जो व्यक्ति जिस कामना से पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसकी कामना शीघ्र पूरी हो जाती है यह पापो से मुक्त करके निष्पाप बना देता है

5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने लाभ –

  1. यदि आपकी कुंडली में अकाल मृत्यु का योग बना है या फिर आप रोगों से ग्रसित है तो पांच मुखी रुद्राक्ष आपके लिए अमृत के समान कार्य करेगा 
  2. जीवन में दाम्पत्य सुख ,संतान सुखा तथा धन की प्राप्ति होती है 
  3. मानसिक रोगों और पीड़ा को दूर करके मानसिक शांति देने में उत्तम सहायक है 
  4. जिनको नौकरी पाने में सफलता नही मिल रही है तो उन्हें ये पांच मुखी रुद्राक्ष धारण कराना चाहिए जिससे सफलता शीघ्र प्राप्त होती है
  5. डिप्रेशन को दूर करके मस्तिष्क को स्वस्थ  बनाये रखता है 
  6. डायबिटीज के रोगों में भी अत्यंत लाभकारी रहता है 
  7. मानसिक परेशानियों में अस्त-व्यस्त हो गये है तो यह पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपकी समस्याओ से मुक्ति प्रदान करेगा 
  8. यह सभी सिद्धियों की प्राप्ति और पापों से मुक्ति दिलाता है।

धारण करने का मंत्र –

पांच मुखी रुद्राक्ष में पांच देवताओ का वास रहता है इसे धारण करने के लिए “ॐ हिं नमः” मंत्र का उच्चारण करे या पंच्चाक्षर मंत्र का भी जाप कर सकते है

रुद्राक्ष धारण करने की विधि

5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना गया है, क्युकी सोमवार का दिन भगवान भोले नाथ को समर्पित है| सोमवार के दिन प्रातः काल शुद्ध जल से स्नान कर के घर में देवालय के पास पूर्व दिशा की और मुख करके बैठे और लाल रंग का वस्त्र बिछाये जिस पर रुद्राक्ष को रखे |

रुद्राक्ष को सबसे पहले जल से स्नान कराये फिर पंचाम्रत से स्नान कराये और फिर गंगा जल से स्नान कराये दिपक जलाये तथा मिठे का प्रसाद लगाये और भोले नाथ से प्रार्थना करे की है प्रभु शंकर त्रिपुरारी हमारी सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे तथा धन -धान्य व सुख -शांति प्रदान करे|

पांचमुखी रुद्राक्ष को सुख देने वाला तथा शांति और संतोष प्रदान करने वाल बताया गया है| मंत्र-ॐ ह्रीं क्लीं नम:

छह मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है इसे पापो से मुक्ति प्रदान करने वाला तथा संतान सुख देने वाला भी कहा गया है| मंत्र-ॐ ह्रीं ह्रुं नम:

सात मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को सप्तऋषिओ का प्रतिक माना गया है इसे धारण करने वाले पर शनिदेव प्रसन्न रहते है तथा उपासक पर लक्ष्मी जी की कृपा भी बनी रहती है| मंत्र ॐ हुं नम:

आठ मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को विघ्नहरता गणेश जी का स्वरूप माना गया है धारण करने वाले को रिद्धि सिद्धि प्रदान करता है तथा सभी क्लेशो से दूर रखता है | ॐ हुं नम:

नौ मुखी रुद्राक्ष

इसे नवशक्तियों  का प्रतिक माना गया है| इसे धारण करने वाले के  मान सम्मान में वृद्धि होती है तथा यह रक्षा कवच की तरह उपासक की रक्षा करता है |ॐ ह्रीं ह्रुं नम:

दस मुखी रुद्राक्ष

इसे धारण करने वाले को किसी भी प्रकार की नकरातम ऊर्जा का भय नही रहता है तथा सभी गृह शांत रहते है|  मंत्र-ॐ ह्रीं नम:

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले पर हनुमान जी की कृपा सदैव बनी रहती है यह रुद्राक्ष विजय दिलाने  वाला तथा भक्ति प्रदान करने  वाला बताया गया है| मंत्र-ॐ ह्रीं ह्रुं नम:

बारह मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को धारण करने से सभी रोग दूर हो जाते है इसे भगवान महाविष्णु का स्वरूप बताया गया है| मंत्र-ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:

तेरह मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को सभी मनोकामनाये पूरी कराने वाला तथा शुभ लाभ प्रदान करने वाला बताया गया है| मंत्र-ॐ ह्रीं नम:

चौदह मुखी रुद्राक्ष

सभी पापो से मुक्ति देने वाला तथा शिवकृपा प्राप्त करवाने वाला रुद्राक्ष बताया गया है| मंत्र-ॐ नम:

रुद्राक्ष धारण करने  के फायदे –

हमारे दैनिक जीवन में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है| रुद्राक्ष प्रकृति का एक वरदान है जो भगवान भोलेनाथ को भी अति प्रिय है| जो स्वयं आभूषण के रूप में धारण करते है रुद्राक्ष जप- तप और गृह शांति के लिए सर्वोतम माने गये है |रुद्राक्ष सुख सम्पति देने के साथ साथ मानसिक शांति भी प्रदान करते है|

रुद्राक्ष को माला या ब्रेसलेट के रूप में धारण कर सकते है जैसे नर्मदेश्वर शिवलिंग लॉकेट को गले में धारण करते है|उसी प्रकार रुद्राक्ष को भी लॉकेट के रूप में धारण किया जा सकता है ध्यान रखे की रुद्राक्ष को कभी भी अगुठी में धारण नही करना चाहिए इसे अगुठी में धारण करने पर इसकी पवित्रता समाप्त हो जाती है |

  • सभी गृह बलवान होते है तथा गृह दोष ख़त्म होकर राजयोग बनता है|
  • रुद्राक्ष हाई और लौब्लड प्रेसर को संतुलित करता है तथा डायबिटीज जैसे रोगों को ठीक करता है|
  • इलेक्ट्रोमेगनेटिक  तथा बायोमेगनेटिक तरंगे रुद्राक्ष के अन्दर होती है जिसके कारण शरीर हमेशा के लिए स्वस्थ बना रहता है|
  • रुद्राक्ष शरीर की  शक्ति को बेलेंश करता है तथा हार्टअटेक(हदय घात) से बचाता है और नर्वस सिस्टम को ठीक करता है 
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाता है तथा शरीर में एनर्जी बनाये रखता है|
  • इसमे  में स्पंदन शक्ति और वाइब्रेशन होने के कारण शरीर को कई रोगों से बचाता है|
  • रुद्राक्ष धारण करने से शिव जी प्रसन्न होते है तथा  जातक पर अपना आशीर्वाद बनाये रखते है जिससे सभी मनोकामनाये पूर्ण हो जाती है 
  • यह  बुरी शक्तियो से बचाता है तथा नकारात्मकता से रक्षा करता है और सकारात्मक शक्ति को बढाता है|
  • रुद्राक्ष शरीर के आस-पास सुरक्षा चक्र बना देता है जिससे हमारे शरीर का अभामंडल मजबूत रखता है|
  • मानसिक रोगियों के लिए रुद्राक्ष  बहुत लाभ दायक होते है|
  • रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति बलवान ,धन वान ,तथा चातुर्यवान बनता है
  • शरीर की आकर्षण शक्ति बढाता है तथा वाणी को शुद्ध करता है |
  • रुद्राक्ष नर्मदेश्वर  शिवलिंग की तरह प्राण प्रतिष्ठित होता है जिसको सीधे ही धारण कर सकते है या पूजा की जा सकती है|
  • रुद्राक्ष 14 प्रकार के होते है जो सभी अपने आप में विशेष होते है  जिनके लाभ भी अलग – अलग होते है

दो विशेष प्रकार के रुद्राक्ष

गणेश रुद्राक्ष

यह  रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र गणेश के स्वरूप माना जाता है जिन्हें विघ्नहरता  कहते है| गणेश रुद्राक्ष में  गणेश जी की शुण्ड के सामान आकृति उभरी रहती है यह आकृति गणेश जी की शुण्ड के सामान होने के कारण इसे गणेश रुद्राक्ष कहते है जिस प्रकार सभी विघ्नों को गणेश जी हर लेते है उसी प्रकार गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से जातक की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती है|

यह  रुद्राक्ष जातक को सभी प्रकार के सुखो को भोग कर अंत में मोक्ष की प्राप्ति करवाता है गणेश रुद्राक्ष की उपासना करने वाले जातक  के लिए धन के अनेक मार्ग खुल जाते है तथा कार्यो में सफलता हासिल होती है गणेश रुद्राक्ष धारण करने वाले  व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है तथा उस जातक पर भगवान गणेश का आशीर्वाद सदा बना रहता है 

गणेश रुद्राक्ष के धारण करने के लाभ – 

  • इस  रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक समस्याए दूर होती है
  • गणेश रुद्राक्ष धारण करने से बुद्धि तथा एकाग्रता बढ़ती है तथा सभी क्षेत्रो में सफलता के लिए भी धारण किया जाता है|
  • इस  रुद्राक्ष को धारण करने से केतु के अशुभ प्रभावो से जातक को मुक्ति मिलती है|
  • गणेश रुद्राक्ष अपने आप ही आपकी सफलता के मार्ग खोल देता है तथा अगर आप किसी व्यापार की शुरुवात कर रहे है तो आपको गणेश रुद्राक्ष धारण करने से उस व्यापार में सफलता मिलेगी 
  • जिन बच्चो को पढाई में समस्या है यारदास्त कमजोर है तो उन्हें गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए| 

गणेश रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र  –

गणेश रुद्राक्ष के देवता गणेश जी है इसलिए ॐ गणेशाय: नमः………… का जाप करना चाहिए 

गौरी शंकर रुद्राक्ष

जैसे आप सभी जानते है की गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के एकल स्वरूप का प्रतिक है यह रुद्राक्ष आपस में प्राकृतिक रूप से जुडे हुए रहते है एक विशेष रूप एक और माता पार्वती का प्रतिनिधित्व करता है  तथा दूसरा भगवान भोलेनाथ का प्रतिनिधित्व करता है गौरी शंकर रुद्राक्ष को शिव पार्वती के एक अद्भुत संगम का रूप भी माना गया है जिस प्रकार अर्धनारेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग में स्वयं भगवान भोले नाथ और माता पार्वती विराजमान रहते है|

उसी प्रकार गौरी शंकर रुद्राक्ष को  भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का स्वरूप बताया गया है यह रुद्राक्ष पारिवारिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए सबसे उत्तम रुद्राक्ष है कहते है की जिस प्रकार माता पार्वती और भोलेनाथ एक सुखी गृहस्थ जीवन का प्रतिक है|

उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुख और शांति से भर जाता है तथा पति -पत्नी के आपसी प्रेम में वृद्धि होती है गौरी शंकर रुद्राक्ष की शक्ति अपार है इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले पर माता पार्वती और भगवान भोले नाथ दोनों की कृपा रहती है 

गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ – 

  • गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने से गर्भ सम्बन्धित समस्याए दूर होती है तथा माता पार्वती की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है 
  • यह रुद्राक्ष  स्वस्थ के लिए भी लाभदायक है तथा इसे धारण करने से आयु में वृद्धि होती है
  • गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से विवाह में आने वाली बाधाये  दूर होती है तथा मनचाहे जीवन साथी की प्राप्ति होती है 
  • गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने से गृहस्थ जीवन में सुख तथा शांति बनी रहती है 
  • इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके तिजोरी में रखने से धन की कभी कमी नही रहती है 

गौरी शंकर धारण करने का मंत्र –

गौरी शंकर रुद्राक्ष को शिव शंकर को स्पर्श करके ॐ नमः शिवाय …….. पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए 

रुद्राक्ष को धारण करने की विधि –

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना  गया है, क्युकी सोमवार का  दिन भगवान भोले नाथ को समर्पित माना गया है| सोमवार के दिन प्रातः काल शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए तथा घर में देवालय के पास पूर्व दिशा की और मुख करके बैठे और लाला रंग का का वस्त्र बिछाये जिस पर रुद्राक्ष को रखे तथा रुद्राक्ष को सबसे पहले जल से स्नान कराये फिर पंचामृत से स्नान  कराये और फिर गंगा जल से स्नान कराये दिपक जलाये तथा मिठे का प्रसाद लगाये और भोले नाथ से प्रार्थना करे की है प्रभु शंकर त्रिपुरारी हमारी सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे तथा धन -धान्य व सुख -शांति प्रदान करे| 

असली रुद्राक्ष की पहचान –

आप सब ने रुद्राक्ष की महिमा के बारे में तो सुना ही होगा रुद्राक्ष को लोग माला के रूप में भी जानते है और काफी पवित्रता के साथ इसे पूजते है| और धारण करते है शास्त्रों की माने तो जो भी भक्त रुद्राक्ष की माला धारण करते है उस पर भगवान  भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न हो जाते है परन्तु आजकल लोग नकली रुद्राक्ष में केमिकल का इस्तमाल करके उसे असली बना देते है और ग्राहक को भ्रमित करके महगे भाव में बेच देते है |और हमें रुद्राक्ष की सही जानकारी नही होने के कारण हम उसे खरीद लेते है जिससे हमें रुद्राक्ष का पूर्ण लाभ नही मिल पता है तो हम रुद्राक्ष की पहचान इस प्रकार से कर सकते है –

  • रुद्राक्ष को किसी नुकीली वस्तु जैसे सुई या पिन से कुरदे  अगर रुद्राक्ष से रेशा निकले तो वह रुद्राक्ष असली है नही रेशा निकले तो वह नकली रुद्राक्ष है 
  • रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डाल कर देखे अगर रुद्राक्ष अपने पहले रंग से ज्यादा गहरा दिखाई देतो वह असली रुद्राक्ष है 
  • तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रूद्राक्ष रखकर फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रूद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रूद्राक्ष नाचने लगता है। यह पहचान अभी तक प्रमाणिक हैं।
  • नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।
  •  एक कटोरे में पानी उबालें इस उबलते पानी में एक-दो मिनट के लिए रूद्राक्ष डाल दें। कटोरे को गैस  से उतारकर निचे रख के  ढक दें। दो चार मिनट बाद ढक्कन हटा कर रूद्राक्ष निकालकर ध्यान से देखें।यदि रूद्राक्ष में जोड़ लगाया होगा तो वह फट जाएगा। दो रूद्राक्षों को चिपकाकर गौरीशंकर रूद्राक्ष बनाया होगा या शिवलिंग, सांप आदी चिपकाए होंगे तो वह अलग हो जाएंगे।

रुद्राक्ष धारण करने के नियम –

  • रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात् समय-समय पर रुद्राक्ष को पंचामृत व गंगाजल द्वारा पवित्र करते रहे | रुद्राक्ष को गंदे हाथों से स्पर्श न करें |
  • घर में सूतक आदि के समय आये तो इसके तुरंत बाद रुद्राक्ष को पवित्र करना न भूले |
  • किसी दाह संस्कार या मृत व्यक्ति के दिनों में जाने के पश्चात् भी रुद्राक्ष को पवित्र करें |
  • महिलाएँ रुद्राक्ष को पीरियड्स के दिनों में उतार कर रख दे व बाद में पवित्र करके ही पुनः धारण करें |
  • आप जिस रुद्राक्ष को धारण करते है उसे भूलकर भी किसी अन्य व्यक्ति को पहनने के लिए न दे चाहे वह आपके परिवार का ही कोई सदस्य क्यों न हो | किसी दुसरे का पहना हुआ रुद्राक्ष भी गले में धारण नहीं करना चाहिए |
  • रुद्राक्ष खरीदने से पहले इसकी शुद्धता की अच्छी प्रकार से जांच कर ले | टूटा हुआ रुद्राक्ष व कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष धारण करने योग्य नहीं होता |
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले को तामशी भोजन नही करना चाहिए
  • अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें।
  • अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। 
  • रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्य तौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *