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शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे (लाभ)

जैसा  की आप सब जानते है की भगवान भोले नाथ की पूजा शिवलिंग के रूप में  करते है|  शिवलिंग पर जल,दूध और बेलपत्र भी चढ़ाते है| हमने आपको हमारे पहले लेख में दूध और बेलपत्र के बारे में बताया है|

पर आप  ने कभी सोचा है| की शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाते है| इसलिए हम आज आपको शिवलिंग  पर जल चढ़ाने के बारे में बतायेगे|

शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान भोले नाथ जल्दी प्रसन्न हो जाते है| क्योकि भागवान भोले ‍‍‍नाथ को जल अति प्रिय है शिवलिंग पर जल चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्त होती है|

शिवलिंग पर जल ‍क्यों चढ़ाया जाता है:

ऐसा इसलिए क्युकि मस्तिष्क में केंद्र का स्थान भगवान भोले नाथ को प्राप्त है | और जब हम शिवलिंग पर जल की धारा प्रवाहित करते है तब भगवान भोले नाथ को शीतलता मिलती है और भोले नाथ के शीतल होने से हमारा मन भी शांत होता है|

और शिवजी की पूजा का अहम हिस्‍सा है उनका अभिषेक करना । शिव मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर पानी का एक मटका सदैव रहता है, जिसमें से जल की बूंदे शिवलिंग के ऊपर हमेशा टपकती रहती हैं । ये गंगा मां का प्रतीक है जो शिव की जटाओं से बहती रहती हैं ।

और साथ ही साथ जब हम शिवलिंग पर जल चढ़ाते है तो वह जल केवल ऊपर जमीन तक ही सीमित नही रहता बल्कि वह शिवलिंग के माध्यम से जमीन के अंदर तक जाता है|

जो की हमारी पृथ्वी का पालन- पोषण और एक प्रकार से धरती में जल को सुरक्षित करने का काम करता है

क्युकि वर्तमान समय में  पृथ्वी की स्थति ऐसी हो गयी है की पृथ्वी पर जल की कमी होती जा रही है| और अगर सामाजिक द्रष्टि से देखे तो शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बाहर नही बहता 

बल्कि उसकी एक व्यवस्था की गयी है जो कही न कही इस जमीन में जाता है और उसको पालित पोषित और बढ़ाने का काम करता है शिवालिंग पर जल चढ़ाने से हम भी एक पूण्य करते है| 

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार –

जब देवताओ और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तब समुद्र से अनेक अनमोल रत्नों के साथ अमृत और विष भी निकला था| अमृत तो सब देवताओ ने ग्रहण कर लिया पर विष इतना ज्यादा हलाहल था, की अगर विष की एक बूंद भी पृथ्वी पर गिर जाती तो विनाश हो जाता|

भगवान भोले नाथ ने पृथ्वी के विनाश को रोकने के लिए स्वयं विष को ग्रहण कर लिया, और कंठ में धारण किया तभी से भगवान भोले नाथ को नीलकंठ भी कहते है|

विष की गर्मी इतनी ज्यादा थी की शिव का मष्तिष्क गर्म हो गया तब देवताओ ने भोले नाथ पर जल की धारा प्रवाहित की तब उन्हें थोड़ी शीतलता प्राप्त हुई तभी से भगवान भोले नाथ पर जल से अभिषेक किया जाता है

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि –

  1. शिवलिंग पर जल सावन महीने में विशेष रूप से चढ़ाया जाता है| क्योकि सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाए जल्दी पूर्ण होती है
  2. सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करके अपने घर या किसी शिव मन्दिर में जा कर शिवलिंग पर जल अभिषेक करे|
  3. दक्षिण दिशा में बैठ कर शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए| और मुख उत्तर की दिशा में होना चाहिए तथा जल बैठ कर ही चढ़ान चाहिए |
  4. जल सदैव तांबे या चांदी के पात्र से चढ़ाना चाहिए  शिवलिंग पर जल की पतली धारा ही प्रवाहित करनी चाहिए|
  5. शिवलिंग पर चढ़ाने वाले जल में गंगा जल अवश्य मिलाये तथा जल ताजा होना चाहिए|
  6. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मन शांत होना चाहिए और जल  चढ़ाने के बाद कुछ देर वही शाधना में बैठना चाहिए|

वैसे तो भोले जलधारा से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं लेकिन इन चीजों से अभिषेक करने से शिव और प्रसन्‍न हो जाते हैं और हर मनोकामना को पूरा करते हैं ।

गन्ने का रस – परिवार पर धन वर्षा, आर्थिक मजबूती बनी रहे, घर के सभी सदस्‍य प्रगति करें इसके लिए गन्‍ने के रस से भोले नाथ का अभिषेक करने को कहा गया है ।

घी – जो दंपति निसंतान हें, संतान उत्‍पत्ति की इच्‍छा रखते हैं । उन्‍हें शिवलिंग का अभिषेक घी से करना चाहिए । घी से शिव का अभिषेक करने से वंश की वृद्धि होती है ऐसी मान्‍यता है ।

गंगा जल – भोलेनाथ की कृपा हमेशा खुद पर बनाए रखना चाहते हैं तो गंगाजल से शिव का अभिषेक करें । सावन ही नहीं प्रत्‍येक दिन

शहद – सुगर की समस्या से छुटकरा पाने ले लिए शिवलिंग का अभिषेक शहद से किया जाता है।

इत्र अथवा सुगंधित द्रव्य :

भौतिक संसार में अगर आपको किसी वस्‍तु की चाह है और आप उसके लिए जी जान से जुटे भी हैं लेकिन कुछ भी हल नहीं हो पा रहा है तो शिव पर सुगंधित इत्र अर्पित करें, फूलों के रस से शिव का अभिषेक करें ।

अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया अपने दोस्तों और परिजनों के साथ जरुर शेयर करे|

और साथ ही अगर आपको नर्मदेश्वर शिवलिंग खरीदना हो तो हमसे संपर्क करे धन्यवाद जय श्री महाकाल . ॐ नमः शिवाय

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